RAJAVARDHAN'S BLOG STATION
Cornucopia of Chaos and Complexes
Thursday, August 26, 2010
मुकद्दर ka सिकंदर
दिल में जो आँधी उठी है ;
थमाने की ताक़त ना रही !
इत्तफाक है या मुकद्दर ;
मेरे गम के खजाने में जगा ही ना रही !
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment